Workflows of the process in Hindi

 

Workflows of the process

  1. आरंभिक चरण (Inception Phase):
    • उद्देश्य: परियोजना की क्षमताओं का मूल्यांकन करना और इसकी रूपरेखा तैयार करना।
    • लक्ष्य:
      • परियोजना की मुख्य आवश्यकताओं और उद्देश्यों को समझना।
      • परियोजना के महत्व और प्राथमिकता का निर्धारण करना।
      • मुख्य हितधारकों को पहचानना और उनके उद्देश्यों को समझना।
    • गतिविधियाँ:
      • प्रारंभिक आवश्यकताओं का संग्रह: साक्षात्कार, सर्वेक्षण, और कार्यशालाओं के माध्यम से उपयोगकर्ता और हितधारकों की आवश्यकताओं और अपेक्षाओं को समझना।
      • संसाधन पहचान: परियोजना के लिए आवश्यक संसाधनों की पहचान करना (मानव, वित्तीय, तकनीकी) और प्रारंभिक अनुमान बनाना।
      • जोखिम मूल्यांकन: परियोजना से संबंधित संभावित जोखिमों की पहचान और विश्लेषण करना, जिससे बाद के चरणों में ध्यान देने के लिए संभावित अवरोध और समस्याओं को समझा जा सके।
      • उपयोगकर्ता कहानियां और उपयोग मामला विकास: विभिन्न उपयोगकर्ता दृष्टिकोण से परियोजना की आवश्यकताओं को स्पष्ट करना।
  2. विस्तार चरण (Elaboration Phase):
    • उद्देश्य: परियोजना के संरचना और डिज़ाइन का विस्तारित विकास करना।
    • लक्ष्य:
      • परियोजना की संरचना और मुख्य घटकों का विस्तार करना।
      • परियोजना की तकनीकी संरचना की परिभाषा करना।
      • आवश्यकताओं को और विस्तार से स्पष्ट करना।
    • गतिविधियाँ:
      • सॉफ़्टवेयर आर्किटेक्चर डिज़ाइन: प्रोजेक्ट की तकनीकी संरचना का विस्तृत डिज़ाइन तैयार करना, जिसमें मुख्य घटक, मॉड्यूल, इंटरफेस, और उनके इंटरेक्शन का विवरण होता है।
      • आवश्यकता का विस्तार: आरंभिक चरण से एकत्रित आवश्यकताओं का विस्तार करना, जिसमें उपयोगकर्ता कहानियां, उपयोग मामले, और विभिन्न स्थितियों का विस्तार होता है।
      • तकनीकी जोखिम समाधान: पहचानिए गए तकनीकी जोखिमों का विश्लेषण करना और समाधान करना, जिसमें प्रोटोटाइपिंग, टेस्टिंग, और अन्य तकनीकी मूल्यांकन शामिल हो सकते हैं।
      • प्रोटोटाइपिंग और टेस्टिंग: सिस्टम के महत्वपूर्ण घटकों के प्रोटोटाइप को बनाना और उन्हें टेस्ट करना, ताकि डिज़ाइन की व्यावहारिकता और प्रदर्शन की मान्यता का मूल्यांकन किया जा सके।
  3. निर्माण चरण (Construction Phase):
    • उद्देश्य: सॉफ़्टवेयर के वास्तविक विकास और कोडिंग करना।
    • लक्ष्य:
      • सॉफ़्टवेयर प्रणाली के निर्माण और परीक्षण करना।
      • सभी सॉफ़्टवेयर घटकों को एकीकृत करना और सत्यापित करना।
      • सॉफ़्टवेयर को उपयोग के लिए तैयार करना।
    • गतिविधियाँ:
      • कोडिंग: सॉफ़्टवेयर के सभी महत्वपूर्ण घटकों के लिए कोडिंग करना, जिसमें फ्रंट-एंड, बैक-एंड, डेटाबेस और अन्य मॉड्यूल्स शामिल हो सकते हैं।
      • सत्यापन और टेस्टिंग: कोडिंग के बाद सॉफ़्टवेयर के सभी घटकों को सत्यापित और टेस्ट करना, जिसमें इकाई टेस्ट, एकीकरण टेस्ट, और प्रणाली टेस्ट शामिल हो सकते हैं।
      • विशेषज्ञों की समीक्षा: उत्पादन प्रक्रिया के दौरान सॉफ़्टवेयर के विभिन्न घटकों की नियमित समीक्षा और मान्यता करना, ताकि विकास के दौरान गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
  4. संभाल चरण (Transition Phase):
    • उद्देश्य: सॉफ़्टवेयर को उपयोगकर्ताओं के लिए स्थापित करना और उन्हें समर्पित करना।
    • लक्ष्य:
      • सॉफ़्टवेयर की स्थापना करना और उपयोगकर्ताओं को प्रशिक्षित करना।
      • सॉफ़्टवेयर की उपयोगिता और प्रदर्शन की मान्यता देना।
      • संभालने और समस्याओं का समाधान करना, जो उपयोगकर्ता के प्रयासों को समर्थन कर सके।
    • गतिविधियाँ:
      • स्थापना और प्रशिक्षण: सॉफ़्टवेयर को उपयोग के लिए स्थापित करना और उपयोगकर्ताओं को प्रशिक्षित करना, जिसमें उपयोगकर्ता मैनुअल, स्थापना गाइड और व्यावसायिक समर्थन शामिल हो सकता है।
      • उपयोगकर्ता समर्थन: उपयोगकर्ताओं को समर्थन प्रदान करना, जैसे कि समस्या समाधान, सुझाव और ट्रेनिंग, ताकि सॉफ़्टवेयर का सफल उपयोग हो सके।

ये चरण प्रोजेक्ट प्रबंधन प्रक्रिया के महत्वपूर्ण हिस्से होते हैं जो सॉफ़्टवेयर उत्पादन के विभिन्न दृष्टिकोणों को संघटित करते हैं और सुनिश्चित करते हैं कि परियोजना विशिष्ट लक्ष्यों को पूरा करती है।

 

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