Checkpoints of the process in Hindi

 

Checkpoints of the process

प्रारंभिक चेकप्वाइंट (Initial Checkpoint):

  1. उद्देश्य (Objective): प्रोजेक्ट के उद्देश्यों और लक्ष्यों का स्पष्टीकरण करना। यह सुनिश्चित करना होता है कि सभी स्थायी और सांविधिक आवश्यकताएं स्पष्ट हैं और उन्हें समझा गया है।
  2. योजना (Plan): प्रोजेक्ट मैनेजमेंट प्लान (Project Management Plan) बनाना। इसमें निम्नलिखित शामिल हो सकता है:
    • प्रोजेक्ट के विस्तार, उद्देश्य, और मानकों का विवरण।
    • कार्यक्रम और कार्यक्रम की तारीखों का निर्धारण।
    • संसाधनों का वितरण और प्रबंधन की दिशा-निर्देशों का विवरण।
    • संचालन, नियंत्रण और अनुसरण के नियम।
    • रिस्क मैनेजमेंट योजना और अनुकूलन की रणनीति।
  3. विश्लेषण (Analysis): प्रोजेक्ट की तकनीकी और वित्तीय व्यावस्था की जांच करना। इसमें शामिल हो सकता है:
    • विभिन्न तकनीकी विकल्पों का मूल्यांकन करना और उन्हें अनुमोदन करना।
    • वित्तीय संभावनाओं और संसाधनों की आवश्यकताओं का निर्धारण करना।
    • प्रोजेक्ट की अवधि, लागत और अनुमानित लाभ का विश्लेषण करना।

इन चेकप्वाइंट्स का पालन करके प्रारंभिक चरण में प्रोजेक्ट की समय-सीमा, वित्तीय आवश्यकताओं, और विकास की दिशा का स्पष्टीकरण होता है ताकि प्रोजेक्ट की सफलता की सुनिश्चितता हो सके।

विकास चेकप्वाइंट (Development Checkpoint):

  1. डिज़ाइन (Design): सॉफ़्टवेयर के डिज़ाइन और विकास के निर्णय को स्थापित करना। इसमें शामिल होता है:
    • सॉफ़्टवेयर की आर्किटेक्चर, मॉड्यूल, इंटरफेस, और उनके इंटरैक्शन का विवरण।
    • डिज़ाइन पैटर्न्स का उपयोग, जैसे MVC, Observer, आदि।
    • डिज़ाइन निर्णयों का विवरण और उनकी स्पष्टीकरण।
  2. कोडिंग (Coding): सॉफ़्टवेयर कोडिंग की प्रक्रिया को पूरा करना। इसमें शामिल होता है:
    • सभी सॉफ़्टवेयर कंपोनेंट्स के लिए सोर्स कोड, जैसे फ्रंट-एंड, बैक-एंड, डेटाबेस, आदि।
    • कोड डॉक्युमेंटेशन, जो कि कोड में वर्णित गए विशेषताओं, फ़ंक्शनालिटी, और उपयोग का विवरण प्रदान करता है।
  3. टेस्टिंग (Testing): इंटीग्रेशन और सिस्टम टेस्टिंग की योजना बनाना और शुरू करना। इसमें शामिल होता है:
    • यूनिट टेस्टिंग के लिए विशेष टेस्ट केस का डिज़ाइन करना।
    • सभी मॉड्यूल्स और कंपोनेंट्स के बीच इंटीग्रेशन टेस्टिंग की योजना बनाना।
    • पूरे सॉफ़्टवेयर सिस्टम की सिस्टम टेस्टिंग की योजना और शुरू करना।

 

पुनर्विचार चेकप्वाइंट (Review Checkpoint):

  1. पुनर्विचार (Review): पिछले चरणों में की गई प्रगति का समीक्षण करना। इसमें शामिल होता है:
    • प्रोजेक्ट की विकास प्रक्रिया की समीक्षा करना।
    • प्रोजेक्ट के लक्ष्यों और मानकों के साथ मिलान करना।
    • पिछले चरण में पाए गए सफलताओं और असफलताओं का विश्लेषण करना।
  2. समस्याएँ (Issues): उत्पन्न समस्याओं का समाधान करना और नए रिस्क्स का मूल्यांकन करना। इसमें शामिल होता है:
    • पिछले चरण में उठी गई समस्याओं के समाधान के उपाय तथा उनकी स्थिति की जांच करना।
    • नए रिस्क्स का मूल्यांकन करना और उनके नियंत्रण के लिए योजना बनाना।
  3. पुनरारंभ (Restart): अगले चरण की योजना और स्वीकृति करना। इसमें शामिल होता है:
    • अगले चरण की योजना बनाना और प्रोजेक्ट के अगले दृष्टिकोण को स्थापित करना।
    • स्वीकृति लेना और अगले चरण की प्रारंभिकता को सुनिश्चित करना।

यह चेकप्वाइंट प्रक्रिया का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है जो पिछले कार्यों की समीक्षा करता है, समस्याओं का समाधान करता है, और अगले चरण की योजना बनाने में मदद करता है।

समाप्ति चेकप्वाइंट (Completion Checkpoint):

  1. प्रक्रिया पूरी करना (Process Completion): सॉफ़्टवेयर प्रोजेक्ट की पूर्णता और प्रक्रिया को समाप्त करना। इसमें शामिल होता है:
    • प्रोजेक्ट के उद्देश्यों के साथ मिलान करना और उन्हें पूरा करना।
    • संसाधनों का उपयोग और वित्तीय स्थिति का विश्लेषण करना।
  2. मील स्टोन्स (Milestones): महत्वपूर्ण मील स्टोन्स को निर्धारित करना और उनकी प्रदर्शन की विश्लेषण करना। इसमें शामिल होता है:
    • प्रमुख मील स्टोन्स जैसे कि डिज़ाइन, कोडिंग, टेस्टिंग आदि के समय पर पूरा होना।
    • अंतिम विश्लेषण और मील स्टोन्स के अनुसार प्रदर्शन की जांच करना।
  3. डिलीवरेबल्स (Deliverables): फाइनल डिलीवरेबल्स की स्वीकृति करना और उन्हें प्रस्तुत करना। इसमें शामिल होता है:
    • उपयुक्त डिलीवरेबल्स जैसे कि सॉफ़्टवेयर, उपयोगकर्ता मैनुअल, स्थापना गाइड, आदि का वितरण करना।
    • ग्राहकों की स्वीकृति और डिलीवरेब्ल्स के स्वीकृतिप्रमाण जमा करना।

यह चेकप्वाइंट प्रक्रिया के अंत में होता है और प्रोजेक्ट की सफलता और पूर्णता की जांच करता है, अंतिम डिलीवरेब्ल्स को स्वीकृति देता है और प्रक्रिया को समाप्त करता है।

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